आपदा प्रबंधन द्वारा 1353 तीर्थ यात्री का हेलीकॉप्टर व 5324 यात्रियों का मैनुअल किया रेस्क्यू

खबर सागर
आपदा प्रबंधन द्वारा 1353 तीर्थ यात्री का हेलीकॉप्टर व 5324 यात्रियों का मैनुअल किया रेस्क्यू
केदारनाथ पैदल मार्ग पर 31 जुलाई रात को कई स्थानों पर बादल फटने के बाद प्रशासन व आपदा प्रबंधन सहित विभिन्न विभागों के माध्यम से राहत व बचाय कार्य तीसरे दिन भी जारी है ।
प्रशासन व आपदा प्रबंधन द्वारा अभी तक 1353 तीर्थ यात्रियों का हेलीकॉप्टर से तथा 5324 तीर्थ यात्रियों का मैनुअल रेस्क्यू किया जा चुका है।
केदारनाथ धाम सहित पैदल मार्ग पर फसें तीर्थ यात्रियों की सोनप्रयाग वापसी के बाद केदार घाटी की हालात 2013 की आपदा के बाद जैसे होने लगे है ।
सोनप्रयाग से केदारनाथ तक पैदल मार्ग का नौ स्थानों पर नामोनिशान मिटने से केदारनाथ घाटी के जनमानस को भविष्य की चिन्ता सताने लगी है ।
केदारनाथ धाम सहित यात्रा पड़ावों पर फसें तीर्थ यात्रियों के सोनप्रयाग पहुंचने के बाद गंतव्य को रवाना होने के बाद केदार घाटी के यात्रा पड़ावों पर धीरे – धीरे सन्नाटा पसरने लगा है ।
सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम तक विभिन्न यात्रा पड़ावों पर तीर्थ यात्रियों के क्षमता से अधिक होने से प्रशासन को तीर्थ यात्रियों का अनुमान लगाना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है,प्रशासन व आपदा प्रबंधन राहत व बचाव कार्यों में तत्परता लाने के लाख दावे तो कर रहा है ।
मगर पैदल मार्ग से जान जोखिम में डालकर सोनप्रयाग पहुंचने तीर्थ यात्रियों की दास्तान हर एक को झकझोर कर रही है।
वर्ष 2013 की आपदा की तरह कुछ लोग अभी भी जंगलों में भटकने के लिए विवश बने हुए हैं।
भले ही प्रशासन व आपदा प्रबंधन के सन्मुख अभी पैदल मार्ग पर फसें तीर्थ यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का मुख्य लक्ष्य है मगर आने वाले दिनों में केदारनाथ की यात्रा दुबारा शुरू करना भी एक चुनौती है ।
बादल फटने के कारण प्रशासन द्वारा अभी मात्र दो तीर्थ यात्री या स्थानीय व्यक्ति के लापता होने की पुष्टि की गयी है मगर सोनप्रयाग जिला पंचायत की पार्किंग में खड़े वाहनों से स्पष्ट हो गया है कि पैदल मार्ग पर अभी भी सैकड़ों तीर्थ यात्री फसें हुए है ।
प्रशासन व आपदा प्रबंधन द्वारा पैदल मार्ग पर फसें हर तीर्थ यात्री को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का प्रयास तो किया जा रहा है ।
मगर बार – बार मौसम के करवट लेने तथा भूस्खलन वाले स्थानों पर हर समय बोल्डरो के गिरने से राहत व बचाव कार्यों में लगे अधिकारियों को भी जान जोखिम में डालकर कार्य करना पड़ रहा है!