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वाईब्रेंट विलेज प्रोग्राम से बदलेगी सीमावर्ती गांवों की तस्वीर 1962 के युद्ध के समय खाली हुए गांव

खबर सागर

 

वाईब्रेंट विलेज प्रोग्राम से बदलेगी सीमावर्ती गांवों की तस्वीर 1962 के युद्ध के समय खाली हुए गांव

 

केन्द्र सरकार के वाईब्रेंट विलेज प्रोग्राम‘ के अंतर्गत जिले के सीमावर्ती क्षेत्र के गांवों के समग्र विकास और स्थानीय निवासियों के जीवन की गुणवत्ता को सुधारने की योजनाएं जल्द ही जमीन पर उतरने वाली है। इस कार्यक्रम के तहत भारत सरकार के द्वारा जिले के आठ गांवों में विद्यालयों को सुदृढ करने तथा विद्युतीकरण के लिए रू. 6.57 करोड़ की लागत की योजनाओं के प्रस्तावों को अनुमोदित कर दिया गया है।
जिला स्तर से नेलांग व जादुंग गांव में आजीविका संवर्द्धन एवं पर्यटन विकास की योजनाओं का निर्माण किए जाने के साथ ही टकनौर क्षेत्र के आठ गांवों को रिंग रोड से जोड़े जाने, हर्षिल सैन्य क्षेत्र के बाहर बाईपास सड़क का निर्माण आदि योजनाओं शामिल है।

वहीं जिलाधिकारी उत्तरकाशी नेबताया कि केन्द्र सहायतित ‘वाईब्रेंट विलेज प्रोग्राम‘ के तहत जिले के सीमावर्ती क्षेत्र के दस गांवों- जादुंग, नेलांग, मुखवा, धराली, हर्षिल, बगोरी, झाला, जसपुर, पुराली, सुक्खी को शामिल किया गया है। गत वर्ष से शुरू किए गए।
इस कार्यक्रम में कृषि, बागवानी, पर्यटन एवं सांस्कृतिक विरासत, शिक्षा व कौशल विकास एवं उद्यमिता प्रोत्साहन, सड़क संचार, आवास एवं ग्रामीण अवसंरचना, ऊर्जा, संचार और आजीविका सृजन के अवसर पैदा करने हेतु जिला स्तर से इन गांवो के लिए अनेक योजनाओं के प्रस्ताव केन्द्र सरकार की स्वीकृति के लिए भेजे जा चुके हैं।
सीमावर्ती क्षेत्र में खाली पड़े नेलांग और जादुंग गांव को पुनर्स्थापित करने पर विशेष ध्यान दिया जाना जरूरी है।

इसके लिए सेना की स्थानीय यूनिट, वन विभाग और पर्यटन विभाग के अधिकारी इस क्षेत्र में संयुक्त निरीक्षण कर उपयुक्त ट्रैकरूट्स की तलाश कर इनके विकास की योजना प्रस्तुत करने को कहा गया जादुंग व नेलांग में स्थानीय लोगों की भूमि के चिन्हीकरण के लिए संयुक्त निरीक्षण कराया जाएगा। बताया जा रहा कि जादुंग में पहले चरण में 6 परिवारों के लिए होमस्टे निर्माण की स्वीकृति मिल चुकी है।

सन 1962 की स्थिति के अनुसार शेष अन्य 17 परिवारों के लिए भी अगले चरण में होमस्टे बनाए जाने पर पर्यटन विभाग के द्वारा सहमति व्यक्त की गई है ।

वाईब्रेंट विलेज में पर्यटन विकास की प्रचुर संभावनाओं को साकार करने के लिए मुखवा, धराली, हर्षिल, बगोरी, झाला, जसपुर, पुराली, सुक्खी गांवों को आपस में रिंग रोड से जोड़ा जाना भी प्रस्तावित है।
जिनके सापेक्ष केन्द्र सरकार के स्तर से रू. 657.27 लाख लागत की 14 योजनाएं अनुमोदित हो चुकी हैं। जिनमें से विद्यालयों के अनुरक्षण व सुदृढीकरण की 11 योजनाओं हेतु कुल रू. 100.86 लाख तथा विद्युतीकरण की तीन योजनाओं हेतु रू. 556.41 लाख की धनराशि सम्मिलित हैं

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