
खबर सागर
रामनगर में उम्मीदों का पुल पांच साल बाद भी अधूरा, ‘डेथ प्वाइंट’ से सफर बना जानलेवा
रामनगर क्षेत्र में कुमाऊं और गढ़वाल को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग NH-309 एक बार फिर मानसून में जानलेवा साबित होने जा रहा है । इस मार्ग पर पड़ने वाले पनोद और धनगढ़ी बरसाती नाले अब तक एक दर्जन से ज्यादा लोगों की जान ले चुके है।
बता दें कि हर साल मानसून आते ही ये नाले उफान पर आ जाते हैं, जिससे वाहन चालकों और राहगीरों को जान जोखिम में डालकर इन्हें पार करना पड़ता है,गौरतलब है कि धनगढ़ी और पनोद नालों पर पुल निर्माण की कवायद साल 2020 में शुरू की गई थी ।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से तत्कालीन राज्यसभा सांसद और वर्तमान पौड़ी लोकसभा सांसद अनिल बलूनी की पहल पर इन पुलों के लिए केंद्र सरकार ने करीब 14 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर की थी,धनगढ़ी में 150 मीटर लंबे पुल की लागत 7.65 करोड़ रुपये और पनोद नाले पर 90 मीटर लंबे पुल की लागत 6.35 करोड़ रुपये निर्धारित की गई थी,नवंबर 2020 में इनका निर्माण कार्य शुरू भी कर दिया गया था और 18 माह में इसे पूरा करने का दावा किया गया था।
लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि 5 साल बाद भी पुल अधूरा है, बीच में हाथी कॉरिडोर के चलते वन विभाग ने निर्माण पर रोक लगा दी थी ।
पिछले वर्ष वन विभाग द्वारा संशोधित डिजाइन जिसमें पुल की चौड़ाई 6.5 मीटर और सड़क की चौड़ाई 12 मीटर पर सहमति देने के बाद मई 2024 में एक बार फिर निर्माण कार्य शुरू हुआ है। जिलाधिकारी वंदना सिंह का कहना है कि मौजूदा मानसून सीजन में पुल का कार्य पूरा हो पाना संभव नहीं लग रहा है,उन्होंने बताया कि संबंधित विभागों को अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए गए हैं ताकि भारी बारिश की स्थिति में समय पर सुरक्षा इंतजाम किए जा सकें।
हालांकि निर्माण कार्य युद्धस्तर पर जारी है, लेकिन इस वर्ष भी स्थानीय लोगों और यात्रियों को उफनते नालों को पार कर अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ेगी। यह स्थिति सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है।
इस मार्ग से रोजाना हजारों लोग यात्रा करते हैं, जिनमें स्कूली छात्र, मरीज, पर्यटक और आमजन शामिल हैं,बरसात के दिनों में यह रास्ता किसी जानलेवा चुनौती से कम नहीं होता।
अब देखना यह है कि बार-बार दिए जा रहे आश्वासन कब हकीकत में तब्दील होंगे और कब लोग सुरक्षित तरीके से इस मार्ग से यात्रा कर पाएंगे,फिलहाल इस मानसून में भी धनगढ़ी और पनोद नाले लोगों के लिए एक और चुनौती बनकर सामने खड़े हैं।