
खबर सागर
पितृपक्ष प्रारम्भ अपने पूर्वजों और पित्रो के तर्पण से पर्सन्न होते पितृ
सनातन धर्म में पितृपक्ष के 16 दिन पूर्वजों को समर्पित होते हैं।
इन्हें हम पितृपक्ष श्राद्ध पक्ष या महालय भी कहते हैं ज्योतिष शास्त्र में इसे कनागत भी कहा जाता है क्योंकि इस समय सूर्य कन्या राशि में संचार करते हैं इस वर्ष पितृपक्ष 15 दिन का होगा।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष में हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और श्रद्धांलुओं के द्वारा किए गए अपने पित्रो के लिए तर्पण पिंडदान और श्रद्धा स्वीकार करते हैं पितृ वास्तव में श्रद्धा के भूखे होते हैं इसलिए इन दिनों पूरी निष्ठा से तर्पण पूजन करना चाहिए तामसिक आहार विवाद क्रोध और अपमान से बचना चाहिए तथा सात्विक आचरण के साथ पितरों का स्मरण करना चाहिए जिससे कि पितरों का आशीर्वाद बना रहता है इसी क्रम में हरिद्वार के नारायणी शिला मंदिर में पितृ पक्ष के अवसर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि इस पावन स्थल पर किए गए तर्पण और श्राद्ध से पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
देश में तीन प्रमुख स्थानों पर पित्रो की निमित्त कार्य तर्पण श्राद्ध पिंडदान करने का विशेष महत्व माना जाता है जिसमें प्रमुख धर्मनगरी हरिद्वार का नारायणी शिला मंदिर है जिसमे पितृ तर्पण और श्राद्ध करने का प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है।
मंदिर के मुख्य पुजारी मनोज त्रिपाठी ने बताया कि यहां पितृ कार्य करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और उनके आशीर्वाद से परिवार सुख-समृद्धि प्राप्त करता है।
उन्होंने मंदिर की पौराणिकता का उल्लेख करते हुए कहा कि यह स्थान प्राचीन काल से पितृ तर्पण का केंद्र रहा है और देशभर से श्रद्धालु यहां अपने पितरों की शांति के लिए आते हैं। “पितृ पक्ष में यहां आकर जो भी श्रद्धालु नारायणी शिला मंदिर में तर्पण और पितृ कार्य करते हैं, उनके पितर प्रसन्न होते हैं।
पितृ पक्ष का यह पावन समय श्रद्धालु के अपने पूर्वजों को याद करने और उनका आशीर्वाद पाने का अवसर है।धर्मनगरी हरिद्वार का नारायणी शिला मंदिर इस आस्था को साकार करने का प्रमुख तीर्थ स्थल बना हुआ है।