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सेन्चुरी वन अधिनियम पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए बनी बाधा

खबर सागर

पंच केदारो में द्वितीय केदार के नाम से विश्व विख्यात भगवान मदमहेश्वर धाम सहित यात्रा पड़ावों के चहुंमुखी विकास में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम बाधक बना हुआ है । जिससे मदमहेश्वर धाम सहित यात्रा पड़ावों में यातायात, स्वास्थ्य, विधुत, संचार सुविधाओं का अभाव बना हुआ है ।

भगवान मदमहेश्वर का भक्त व प्रकृति का रसिक यहाँ हफ्तों प्रवास करने की इच्छा लेकर पहुंचता तो है मगर उसे मूलभूत सुविधाएं न मिलने से वह एक – दो रात्रि प्रवास करने के बाद मदमहेश्वर धाम से अलविदा हो जाता है ।
यदि प्रदेश व केन्द्र सरकार की पहल पर वर्ल्ड लाइफ बोर्ड सेन्चुरी वन अधिनियम में ढील देने के प्रयास करता है तो मदमहेश्वर धाम की यात्रा भी केदारनाथ धाम की यात्रा की तर्ज पर संचालित हो सकती है तथा मदमहेश्वर धाम सहित सभी यात्रा पड़ावों का चहुमुखी विकास होने के साथ मदमहेश्वर – पाण्डव सेरा – नन्दीकुण्ड पैदल ट्रैक भी विकसित हो सकता है ।
पंच केदारो में द्वितीय केदारनाथ मदमहेश्वर धाम सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य बसा है! मदमहेश्वर धाम पहुंचने पर परम आनन्द की अनुभूति होती है मगर आजादी के सात दशक बाद तथा राज्य गठन के 24 वर्षों बाद भी मदमहेश्वर धाम के चहुमुखी विकास में केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम बाधक होने से मदमहेश्वर धाम में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है । बाक्स न्यूज – ऊखीमठ – पंच केदारो में द्वितीय केदार मदमहेश्वर धाम में भगवान शंकर के मध्य भाग की पूजा की जाती है! मदमहेश्वर धाम में शिव भक्तों को मनौवाछित फल की प्राप्ति होती है! भगवान मदमहेश्वर को न्याय का देवता माना जाता है। वेद पुराणों के अनुसार हिमालय यात्रा के दौरान पाण्डव कुछ समय मदमहेश्वर धाम में व्यतीत किया तथा उनके द्वारा अपनों पितरों को तर्पण देने के निशान आज भी एक शिला पर है । मदमहेश्वर धाम में प्रवास करने के बाद पाण्डवों से पाण्डव सेरा होते हुए मोक्ष धाम भूवैकुण्ठ बद्रीनाथ धाम के लिए गमन किया । मदमहेश्वर धाम के चारों ओर फैले भूभाग को प्रकृति नव नवेली दुल्हन की तरह सजाया व संवारा है ।
बरसात के समय मदमहेश्वर धाम के चारों तरफ फैले सुरम्य मखमली बुग्याल में अनेक प्रजाति के पुष्प खिलने से मदमहेश्वर धाम की सुन्दरता पर चार चांद लग जाते हैं ।
मगर इन यात्रा पड़ावों के चहुंमुखी विकास में भी केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम विकास को बाधक बना हुआ है ।

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