
खबर सागर
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने उत्तराखंड में संचालित मदरसा बोर्ड को भंग करने की सिफारिश
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने उत्तराखंड में संचालित मदरसा बोर्ड को भंग करने की सिफारिश की है।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने अध्यक्ष रहते हुए 11 अक्टूबर को सभी राज्यों के चीफ सेक्रेटरी को यह पत्र लिखा है। आयोग ने पत्र में कहा है कि बच्चों को मौलिक अधिकार और अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों के बीच विरोधाभासी तस्वीर बनाई गई है।
केवल धार्मिक संस्थाओं में जाने वाले बच्चों को आरटीआई अधिनियम 2009 के तहत औपचारिक शिक्षा प्राणी से बाहर रखा गया है। इसलिए यह तय करना सरकार का कर्तव्य है कि सभी बच्चों को औपचारिक शिक्षा मिले।
जिसको लेकर मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून काजमी का आदमी ने आयोग के आरोपों का खंडन किया है ।
उन्होंने कहा कि यह आयोग का मत है कि मदरसों में बिना भेदभाव के सभी बच्चों को बुनियादी शिक्षा दी जा रही है।
वहीं कांग्रेस ने अपनी सरकार में जो मद्रासो को मुख्य धारा से दूर किया है।
उसे जोड़ने का कार्य देश की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार जोड़ने का कार्य कर रही है ।