
खबर सागर
कांग्रेस कार्यालय में कब्जे को लेकर पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत और भू स्वामी के बीच हुई तनातनी
रामनगर के रानीखेत रोड पर वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान यहां कांग्रेस कार्यालय खोला गया था। बताया जाता है कि जिस स्थान पर यह कार्यालय खोला गया था ।
वह जमीन नगर के व्यापारी नीरज अग्रवाल की थी तथा नीरज अग्रवाल और कांग्रेस के पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत के बीच काफी गहरी मित्रता भी थी। लेकिन किन्हीं कारणों से अब दोनों के बीच खटपट चल रही है सोमवार की देर शाम को कांग्रेस कार्यालय में नीरज अग्रवाल अपने साथियो के साथ पहुंचा और उन्होंने कार्यालय के अंदर रखा सभी सामान बाहर निकाल कर फेक दिया ।
और वहां कब्जा कर लिया। इसी बीच वहां से गुजर रहे कांग्रेस के कार्यकर्ता ने जब यह सब कुछ देखा तो वह मौके पर पहुंचे और उसने जमीन स्वामी नीरज अग्रवाल द्वारा लगाए गए ताले को खोलकर बाहर निकाला गया सभी सामान दोबारा से अंदर रख दिया। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच गहमा गहमी भी हुई लेकिन जिस समय यह घटना हुई उस दौरान पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत मौके पर नहीं थे वह दिल्ली किसी काम से गए थे।
घटना की जानकारी जब पुलिस व प्रशासन को मिली तो तहसीलदार कुलदीप पांडे, सीओ भूपेंद्र सिंह भंडारी, कोतवाल अरुण कुमार सैनी भारी पुलिस वाले के साथ मौके पर पहुंचे और उन्होंने भू स्वामी नीरज अग्रवाल और कांग्रेस कार्यकर्ता को समझाया।
लेकिन दोनों ही पक्ष इस कार्यालय पर अपना अपना कब्जा होने की बात करते रहे। वही मामले की भनक लगने पर भारी संख्या में कांग्रेस के कार्यकर्ता भी मौके पर एकत्रित हो गए। मामले में भू स्वामी नीरज अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 2017 में कांग्रेस नेता एवं पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत को उन्होंने अपना यह कार्यालय कुछ समय के लिए दिया था।
उनका आरोप है कि कांग्रेस नेता द्वारा जबरन उनके कार्यालय पर अवैध रूप से कब्जा किया गया और कई बार कहने के बाद भी उसे खाली नहीं कर रहे हैं। वही पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत का कहना है कि भू स्वामी द्वारा स्वयं उन्हें यह कार्यालय दिया गया था तथा किसी भी प्रकार का कोई अवैध कब्जा नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि भू स्वामी द्वारा जो आज अपराधी किस्म के व्यक्ति के साथ मिलकर अवैध तरीके से उनके कार्यालय का सामान बाहर निकल गया है ।
वह पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा कि यदि कार्यालय खाली करना था तो उसके लिए भू स्वामी को नियमानुसार कार्रवाई करनी थी। हंगामा बढ़ने की सूचना पर कार्यालय के बाहर भारी मात्रा में पुलिस फोर्स से तैनात कर दिया गया था।
वहीं देर रात पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत भी दिल्ली से रामनगर स्थित अपने कार्यालय पहुंचे जहां कोतवाली में प्रशासन द्वारा दोनों पक्षों के बीच वार्ता कराई गई।
फिलहाल अभी मामला निपटा नहीं है दोनों ही पक्ष कब्जे को लेकर अड़े हुए हैं ।
देखना यह है कि अब मौके पर यह कार्यालय कांग्रेस का रहेगा या फिर भू स्वामी के कब्जे में रहेगा प्रशासन जांच में जुटा हुआ है।