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दूधली भद्रराज मेले में हजारों की संख्या में श्रद्वालुओं ने किये भगवान बल भद्वराज के दर्शन

खबर सागर

 

दधली भद्रराज मेले में हजारों की संख्या में श्रद्वालुओं ने किये भगवान बल भद्वराज के दर्शन

 

प्राचीन दूधली भद्रराज देवता बलराम का मंदिर में हर वर्ष लगने वाला दो दिवसीय भद्रराज मेला रंगारंग कार्यक्रम के साथ संपन्न हुआ । मेले में जौनसार, पछवादून, जौनपुर, मसूरी, विकास नगर और देहरादून सहित  हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान बलभद्र का दुग्धाभिषेक कर मन्नते मांगी ।

भगवान बलराम का मंदिर मेले में हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान भद्रराज का दूध, घी, मक्खन और दही से अभिषेक किया. साथ ही पशुओं की सुरक्षा एवं परिवार की खुशहाली की कामना की,वहीं, लोक कलाकारों की प्रस्तुति पर लोग जमकर थिरके।
भद्रराज मंदिर समिति की ओर से विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट काम करने वाले लोगों को भद्रराज गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। इस मेले को सीएम पुष्कर धामी राजकीय मेला घोषित कर चुके हैं ।
मंदिर समिति के अध्यक्ष राजेश नौटियाल ने कहा कि भद्रराज मंदिर और मेले का स्वरूप दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, उन्होंने कहा कि कई दशकों से भद्रराज मंदिर में मेला लगाया जाता रहा है। मसूरी, विकास नगर पछवा दून और टिहरी क्षेत्र के सैकड़ो श्रद्धालु भगवान भद्रराज के दर्शन कर आशीर्वाद ले रहे हैं। उन्होंने कहा भद्वराज मेले जहां आस्था का केंद्र है वहीं पर्यटन की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि भगवान भद्रराज मंदिर और मेले में जहां भक्त लोग आ रहे हैं ।

जहां आसपास के प्राकृतिक सौंदर्य से भी अभिभूत होने पर मन को शांती मिलती है।

मंदिर के पुजारी युगल किशोर तिवारी ने बताया कि महाभारत काल में कृष्ण के भाई बलराम मसूरी के इस दूरस्थ क्षेत्र दूधली में भ्रमण के लिए निकले थे। वहां जाकर गौपालकों को प्रवचन दिए और गौ की महत्ता से अवगत कराया,तभी से यहां पर मंदिर बनाया गया। मान्यता है कि पौराणिक काल में पहाड़ी पर एक राक्षस ग्रामीणों के पशुओं को खा जाता था,मवेशी पालकों को भी परेशान करता था, जिस पर ग्रामीण भगवान बलराम के पास सहायता के लिए पहुंचे।

उन्होने बताया कि
ऐसी मान्यता है कि भगवान बलभद्र आज भी उनके पशुओं की रक्षा करते हैं. यह मंदिर भगवान कृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम को समर्पित कर बलराम जी की पूजा होती है।

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