उत्तराखंडपर्यटन

पर्यटन के क्षेत्र सेन्चुरी वन अधिनियम विकास में बना बाधक

खबर सागर

पंच केदारो में द्वितीय केदार के नाम से विश्व विख्यात मदमहेश्वर धाम सहित यात्रा पड़ावों के चहुमुखी विकास में केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम बाधक बना हुआ है।

जिससे धाम सहित यात्रा पड़ावों में यातायात, विधुत, संचार, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं के विकास में रोड बना हुआ है ।
क्षेत्रीय जनता व मदमहेश्वर धाम के हक – हकूधारियो द्वारा लम्बे समय से मदमहेश्वर धाम सहित यात्रा पड़ावों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग तो की जा रही है ।

मगर राज्य गठन के 24 वर्षों बाद भी उनकी मांगों पर अमल नही हुआ है! मदमहेश्वर धाम में आने वाला तीर्थ यात्री व सैलानी यहाँ की वादियों से रूबरू होने के लिए पहुंचता है ।

मगर मदमहेश्वर धाम में संचार, विधुत जैसी सुविधायें न मिलने से वह एक रात्रि गुजारने के बाद अलविदा कह कर वापस चले जाता है ।

यदि प्रदेश सरकार व पर्यटन विभाग की पहल पर केन्द्र सरकार सेन्चुरी वन अधिनियम में छूट देने की पहल करती है ।

मदमहेश्वर धाम आने वाले तीर्थ यात्रियों व सैलानियों की संख्या में हर साल भारी इजाफा हो रहा है।

जिस पर मदमहेश्वर पाण्डव सेरा – नन्दीकुण्ड पैदल ट्रैक का भी चहुंमुखी विकास व पर्यटन की आपर सम्भवनाए है ।

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