
खबर सागर
देव भूमि में कण कण में भगवान विराजमान है इसी के चलते आज
उत्तरकाशी के धराली मे स्थित भगवान कल्पकेदार मन्दिर के कपाट आज पूरी विधि विधान के साथ खोल दिए गये ।
पोराणिंक मान्यता के अनुसार इस मन्दिर के दर्शन मात्र से चारों धामों का पुण्य प्राप्त होता है प्राचीनकाल में शंकराचार्य के सनातन धर्म के पुनरुत्थान अभियान के तहत यहां भी मंदिर समूह स्थापित किये गए। इस समूह में 240 मंदिर थे ।
लेकिन 19वीं सदी की शुरुआत में श्रीकंठ पर्वत से निकले वाली खीर गंगा नदी में आई बाढ़ से कई मंदिर मलबे में दब गए सन 1816 में गंगा भागीरथी के उद्गम की खोज में निकले अंग्रेज यात्री जेम्स विलियम फ्रेजर ने अपने वृत्तांत में धराली में मंदिरों में विश्राम करने का उल्लेख किया है ।
इसके बाद सन 1869 में गोमुख तक पहुंचे अंग्रेज फोटोग्राफर व खोजकर्ता सैमुअल ब्राउन ने धराली में तीन प्राचीन मंदिरों की फोटो भी खींची, जो पुरातत्व विभाग के पास सुरक्षित हैंवर्ष 1945 में स्थानीय लोगों ने गंगा तट पर मंदिर का शिखर नजर आने पर जमीन से करीब 12 फीट नीचे खुदाई कर मंदिर के प्रवेश द्वार तक जाने का रास्ता बनाया इस मन्दिर की पहली मंजिल तक पानी भरा हुवा है पर कहा जाता है ।
इस मन्दिर तीन मंजिले पानी के अन्दर है कल्प केदार मंदिर कत्यूर शिखर शैली का मंदिर है।
इसका गर्भ गृह प्रवेश द्वार से करीब सात मीटर नीचे है। इसमें भगवान शिव की सफेद रंग की स्फटिक की मूर्ति रखी है। मंदिर के बाहर शेर, नंदी, शिवलिंग और घड़े की आकृति समेत पत्थरों पर उकेरी गई नक्काशी की गई है।
भागीरथी और खीरगंगा के संगम पर स्थित धराली का प्राचीन नाम श्यामप्रयाग भी है। स्कंदपुराण के केदारखंड नामक अध्याय मे भी इसका इसका उल्लेख मिलता है।