
खबर सागर
आज वैशाख शुक्ल पंचमी और आदि जगतगुरु शंकराचार्य जयंती के अवसर पर श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले गए। उसी तर्ज पर तीर्थ नगरी हरिद्वार स्थित अत्यंत प्राचीन तीर्थ कनखल में राजघाट में गंगा तट पर स्थित बद्रीश पंचायत मंदिर के कपाट वैदिक विधि विधान के साथ खोले गए।
बद्रीश पंचायत मंदिर कनखल में बद्रीनाथ की तरह ही भगवान हरि नारायण का विग्रह है। कपाट खोलने से एक दिन पहले श्री रामायण जी का अखंड पाठ का आयोजन किया गया और जिसका आज पूर्णाहुति के साथ समापन हुआ और इसी के साथ बद्रीश पंचायत मंदिर के कपाट खोले गए।
मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित गजेंद्र जोशी ने बताया कि 1930 में बद्रीश पंचायत मंदिर की स्थापना एक संत ने गंगा के पावन तट पर की थी। इस मंदिर के संस्थापक स्वामी इंद्रमणि आचार्य जी 1930 में उत्तराखंड के चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम में दर्शन करने गए थे।
उन्हें भगवान बद्री विशाल ने सपने में दर्शन दिए और कनखल में गंगा तट पर स्थित आश्रम में अपने विग्रह की स्थापना करने का आदेश दिया।
और सुबह स्वामी इंद्रमणि आचार्य जी ने अपने भक्तों को स्वप्न के बारे में बताया उसके बाद स्वामी जी ने राजघाट कनखल में गंगा के पावन तट पर बद्रीनाथ मंदिर की स्थापना की।
तब से यहां निरंतर 12 महीने भगवान बद्री विशाल की पूजा की जाती है और हर साल बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तरह ही यहां पर भी बद्रीश पंचायत के कपाट खोले जाते हैं। इलायची दाना मूंगफली का दाना मखाने मिश्री के प्रसाद का भोग बद्रीनाथ धाम की तरह कनखल में बद्रीश पंचायत मंदिर में लगाया जाता है।
पहले इसी मंदिर से चार धाम की यात्रा शुरू होती थी। मंदिर के कपाट खुलने पर भगवान को भोग चढ़ाने और रामायण के पाठ की पूर्णाहुति होने पर आरती की गई और भंडारे का आयोजन किया गया।
आज कनखल में विभिन्न जगहों पर आदि जगतगुरु शंकराचार्य की जयंती मनाई गई शंकराचार्य चौक सूरत गिरी बांग्ला आश्रम मानव कल्याण आश्रम और साधना सदन में आदि जगद्गुरु शंकराचार्य की जयंती समारोह पूर्वक मनाई गई।