12 साल में माँ इन्द्रासणी देवी की चल विग्रह उत्सव यात्रा निकाली

खबर सागर
12 साल में माँ इन्द्रासणी देवी की चल विग्रह उत्सव यात्रा निकाली
सिलगढ पट्टी की आराध्य माँ इन्द्रासणी देवी की चल विग्रह उत्सव डोली 12 वर्षों बाद बीते 26 नवम्बर से दो माह के लिए दिवारा यात्रा पर निकली है।
प्रथम चरण में सिलगढ पट्टी के एक दर्जन से अधिक गाँवों का घर घर जाकर माँ भ्रमण करेगी और भक्तों को आशीर्वाद देगी। इसके बाद माँ इन्द्रासणी भरदार पट्टी व लस्या पट्टी के गाँवों का भ्रमण करेगी।
रूद्रप्रयाग केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर तिलवाड़ा से 5 किमी की दूरी पर जैली-कण्डाली मोटर मार्ग पर कण्डाली गाँव में माँ इन्द्रासणी का पौराणिक मंदिर है।
शंकराचार्य ने माँ इन्द्रासणी के मंदिर का 8वीं सताब्दी में जीर्णोद्धार किया था। मान्यता है कि सर्प दंश से पीड़ित व्यक्ति को अगर मां के मंदिर में रख दिया तो माँ उसे तत्काल ठीक कर देती है। क्षेत्र के लोगों की माँ के प्रति अघात आस्था है।
गाँव में नया अनाज हो या किसी गाय भैस व्याति है तो अनाज व दूध सबसे पहले माँ को चढाया जाता है। ग्रामीण कहते हैं माँ अपने भक्तों की हर मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
दो माह कि दिवारा यात्रा के बाद मंदाकिनी लस्तर नदी के संगम पर माँ भगवती इन्द्रासणी स्नान कर अपने मंदिर में विराजमान होगी ।
30 जनवरी से माँ भगवती के मंदिर में हवन यज्ञ किया जायेगा और 7 फरवरी को पूर्णाहुति के साथ यह धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न होगा।