
- खबर सागर
जौनपुर के अगलाड नदी में पौराणिक व ऐतिहासिक राजशाही मौण मेला हजारो की संख्या में मौणर्थीयों ने नदी में मच्छली पकड कर रात्री को जम कर त्यौहार मनाया ।
शनिवार को जौनपुर के तहत अगलाड नदी के मिडें नामें तोक पंतीदार ग्रामीणो एकत्रित हुए । जहां ढोल नागडे के साथ मौणार्थीयों ने टिकरू का तिल लगाकर मौण का गीत रासो नृत्य के साथ जमकर झूमे । और नदी में 1.45 मिनट में प्राकृतिक जड़ी बूटी टिमरु का पाऊडर नदी में डालते ही स्थानीय सहित विभिन जनपदों से आए लोग नदी मच्छली पकडने को उतर गए ।
टिमरू पाऊडर नदी में डालने से मच्छलीयां बेहोश होने पर स्थानीय तौर पर तैयार संसाधन कुडियाला, फटियाला, जल आदि अनेक यत्रों के माध्यम से मच्छली आसानी से पकड में आ जाती है। जब कि वेहोश मच्छी अधिकांश लोग हाथो की पकड़ पर भी आ जाती है।
इस बार मौण में टिमरू निकालने व डालने की बारी पट्टी लालूर के सात गांव में ग्राम नैनगांव, मरोड ,खैराड ,
भटगांव ,मूनोग ,मातली व कैथ द्वारा नदी में उडेला गया है। जो कि लगभग 4 किमी लम्बी नदी में लोग मच्छली पकड़ने का सिलसिला चलता है।
ग्रामीणों क के मुताबित यह मौण मेला 18 वीं सदी से टिहरी रियासत के समय चली आ रही परम्परा को आज भी जौनपुर के लोग बेखूबी से निभाते आ रहे है।
जो कि आपसी भाई चारें व एकता का प्रतिक माना जाता है। जिसमें 114 गांव के लोग इस मौण मेला में शिरकत कर मच्छली पकडते है ।
शाम को हर गांव में त्यौहार के रूप मे मनाकर कर जौनपुर की कच्ची व अगलाड की मच्छी के साथ जमकर लोक संस्कृति पर आधारित रासों तांदी की धूम पर जमकर आन्दन मनाते है।
मौण मेले खजान सिंह का कहना है कि बडे जोश व उमंग के साथ मौण मेले में आतुर होने के लिए पिछले 36 साल से लगातार मेले में शिकात करने पर बहुत ही आनन्द आता है।
मूनोग के पूर्व प्रधान शूरवीर कहते है कि साल में एक बार मनाये जाने वाला मेला त्यौहार में सभी लोग हर्ष उल्लास के मनाते है ।
इस दौरान मुख्य बाजार नैनबाग में का सैलाब पंहुचने पर जाम की स्थिती बनी रही ।जिससें चार चार धाम जाने वाले यात्रीयों को भी जाम से जूझना पडा ।
राजेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि इतने बडे दायरे में आयोजित मौण मेला को सरकार को पर्यटन मेला व एक धरोवर के तौर पर घोषित कर और अधिक भव्य बनाना चाहिए ।